भारतीय किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स प्रशिक्षण और सरकारी योजनाएँ

भारतीय किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स प्रशिक्षण और सरकारी योजनाएँ

विषय सूची

1. हाइड्रोपोनिक्स क्या है और भारत में इसकी आवश्यकता

भारत में कृषि पारंपरिक तरीकों पर आधारित है, लेकिन बदलते पर्यावरणीय हालात, जलवायु परिवर्तन, और भूमि की कमी के चलते किसान अब नई तकनीकों की ओर बढ़ रहे हैं। हाइड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है जो किसानों को बिना मिट्टी के फसल उगाने की सुविधा देती है। इस अनुभाग में हम हाइड्रोपोनिक्स की बुनियादी जानकारी, इसके लाभ, और भारतीय संदर्भ में इसकी आवश्यकता पर चर्चा करेंगे।

हाइड्रोपोनिक्स क्या है?

हाइड्रोपोनिक्स एक आधुनिक खेती की पद्धति है जिसमें पौधों को पोषक तत्वों से युक्त पानी में उगाया जाता है। इसमें मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे भूमि की गुणवत्ता या उपलब्धता कोई बाधा नहीं बनती। यह तरीका विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और उन जगहों के लिए लाभकारी है जहां उपजाऊ भूमि कम है।

हाइड्रोपोनिक्स के मुख्य तत्व:

तत्व विवरण
पोषक घोल पौधों को आवश्यक मिनरल्स व न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं
समर्थन प्रणाली नेट पॉट्स, रॉकवूल या कोकोपीट जैसे माध्यम पौधे का सहारा देते हैं
जल प्रबंधन संचालित पानी के जरिये पोषक तत्व लगातार पहुंचते रहते हैं
प्रकाश व्यवस्था सूर्य प्रकाश या आर्टिफिशियल लाइटिंग का उपयोग किया जा सकता है

भारत में हाइड्रोपोनिक्स की आवश्यकता क्यों?

भारत के किसानों के सामने कई चुनौतियां हैं जैसे कि जल संकट, भूमि का क्षरण, और मौसम में अनिश्चितता। ऐसे में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक कई तरह से मददगार साबित हो सकती है:

  • जल की बचत: पारंपरिक खेती की तुलना में 80-90% तक कम पानी लगता है।
  • कम जगह में अधिक उत्पादन: छोटे क्षेत्र में भी अधिक पैदावार संभव होती है, जिससे शहरी खेती को बढ़ावा मिलता है।
  • मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा: चूंकि मिट्टी का उपयोग नहीं होता, इसलिए पौधों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • सालभर खेती: मौसम पर निर्भरता कम होती है, जिससे पूरे साल ताजा सब्जियां व फल उगाए जा सकते हैं।
  • आय में वृद्धि: उच्च गुणवत्ता वाली फसलें बाजार भाव पर आसानी से बिक जाती हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।
भारतीय किसानों के लिए सामुदायिक अनुभव:

देश के कई हिस्सों में किसान समूह बनाकर सामूहिक रूप से हाइड्रोपोनिक्स परियोजनाएं चला रहे हैं। इससे उन्हें लागत कम करने और अनुभव साझा करने में मदद मिल रही है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ गांवों ने ग्रीनहाउस आधारित हाइड्रोपोनिक्स अपनाकर अपनी उपज बढ़ाई है और स्थानीय बाजारों में ताजे उत्पाद बेचना शुरू किया है। इस प्रकार, हाइड्रोपोनिक्स भारतीय किसानों के लिए भविष्य की स्मार्ट खेती बनकर उभर रहा है।

2. भारत में हाइड्रोपोनिक्स का मौजूदा स्थिति

भारत में पारंपरिक खेती के अलावा, हाल के वर्षों में हाइड्रोपोनिक्स यानी बिना मिट्टी के पौधे उगाने की पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। खासकर शहरी क्षेत्रों और उन जगहों पर जहाँ भूमि की उपलब्धता कम है, वहाँ किसान और युवा उद्यमी हाइड्रोपोनिक्स को आज़मा रहे हैं। यह तरीका विशेष रूप से उन किसानों के लिए आकर्षक है जो कम जल और जगह में अधिक उत्पादन चाहते हैं।

भारत में हाइड्रोपोनिक्स की वर्तमान लोकप्रियता

शहरों में बढ़ती जनसंख्या और भूमि की कमी ने हाइड्रोपोनिक्स को नया विकल्प बना दिया है। छोटे स्तर पर छतों, बालकनी या खाली जमीन में भी किसान सब्जियाँ, साग-पात और फूल उगा रहे हैं। कई स्कूल, कॉलेज और रिसर्च सेंटर भी इस तकनीक पर प्रशिक्षण दे रहे हैं।

हाइड्रोपोनिक्स अपनाने की दर

हालांकि हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग बड़े पैमाने पर अभी नहीं हुआ है, लेकिन 2020 के बाद इसमें अच्छा इजाफा देखा गया है। सरकार द्वारा प्रोत्साहन योजनाएँ मिलने के बाद अब छोटे और मझोले किसान भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

वर्ष हाइड्रोपोनिक फार्म्स (अनुमानित संख्या) प्रमुख राज्य
2018 100+ महाराष्ट्र, दिल्ली
2021 500+ कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना
2024 (अनुमान) 1200+ उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब
प्रमुख राज्यों/क्षेत्रों में प्रचलित प्रथाएँ

महाराष्ट्र: यहाँ कई स्टार्टअप्स और युवा किसान बिना मिट्टी के खेती कर रहे हैं, खासकर पुणे और मुंबई क्षेत्र में।
दिल्ली NCR: शहरी छतों पर टमाटर, पालक और धनिया जैसी फसलें उगाई जा रही हैं।
कर्नाटक और तमिलनाडु: बड़े ग्रीनहाउस फार्म्स एवं शिक्षण संस्थानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है।
तेलंगाना: यहाँ ड्रिप सिंचाई के साथ हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का संयोजन किया जा रहा है जिससे जल की बचत होती है।
उत्तर प्रदेश और पंजाब: कृषि विश्वविद्यालय एवं सरकारी परियोजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

भारतीय किसानों की रुचि क्यों बढ़ रही है?

– पानी की बचत: पारंपरिक खेती की तुलना में 70-80% कम पानी लगता है
– कम भूमि की आवश्यकता: छोटी जगह में ज्यादा उत्पादन संभव
– मौसम से कम प्रभावित: नियंत्रित वातावरण में खेती संभव
– तेज़ी से फसल तैयार: फसल चक्र छोटा होने से जल्दी आय प्राप्त होती है
– सरकारी सहायता: केंद्र व राज्य सरकारें अनुदान व प्रशिक्षण उपलब्ध करा रही हैं

इस तरह भारत में हाइड्रोपोनिक्स धीरे-धीरे किसानों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है और आने वाले समय में यह ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

भारतीय किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स में प्रशिक्षण के अवसर

3. भारतीय किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स में प्रशिक्षण के अवसर

सरकारी, गैर-सरकारी और निजी स्तर पर उपलब्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम

भारत में हाइड्रोपोनिक्स खेती की लोकप्रियता बढ़ रही है। इससे जुड़ी जानकारी और कौशल पाने के लिए विभिन्न संस्थान और सरकारी विभाग प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। ये प्रशिक्षण न केवल बड़े किसानों के लिए, बल्कि छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए भी बहुत उपयोगी हैं। नीचे तालिका के माध्यम से कुछ प्रमुख प्रशिक्षण स्रोत दिए गए हैं:

प्रशिक्षण प्रदाता प्रकार मुख्य सुविधाएँ कैसे जुड़ें?
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) सरकारी ऑनलाइन/ऑफलाइन कोर्स, फील्ड डेमो, एक्सपर्ट लेक्चर ICAR वेबसाइट
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) सरकारी स्थानीय वर्कशॉप्स, लाइव ट्रेनिंग, फसल सलाह निकटतम KVK से संपर्क करें
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन मैनेजमेंट (MANAGE) सरकारी शॉर्ट टर्म कोर्स, ऑनलाइन वेबिनार, प्रमाण पत्र कोर्स MANAGE वेबसाइट
IITs एवं अन्य कृषि विश्वविद्यालय गैर-सरकारी/शैक्षणिक समर स्कूल, रिसर्च प्रोजेक्ट्स, टेक्निकल ट्रेनिंग विश्वविद्यालय की वेबसाइट देखें
Hydroponics India, FutureFarms, Rise Hydroponics आदि निजी संस्थाएं निजी इंटरैक्टिव वर्कशॉप्स, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, कस्टमाइज्ड पैकेजेस प्रतिष्ठानों की वेबसाइट या सोशल मीडिया पेज पर जाएं
YouTube चैनल्स व ऑनलाइन पोर्टल (Udemy, Coursera) ऑनलाइन संसाधन वीडियो ट्यूटोरियल्स, स्टेप-बाय-स्टेप गाइड्स, प्रमाण पत्र कोर्सेज़ YouTube या संबंधित पोर्टल पर सर्च करें: “Hydroponics Training in Hindi”

वर्कशॉप्स और ऑनलाइन संसाधनों का महत्व

आजकल कई किसान अपने मोबाइल से ही हाइड्रोपोनिक्स सीख सकते हैं। वर्कशॉप्स में भाग लेने से उन्हें मशीनरी देखना और चलाना समझ आता है। ऑनलाइन कोर्सेज़ की मदद से किसान घर बैठे अपने समय अनुसार नई तकनीक सीख सकते हैं। इसके अलावा किसान समुदायों द्वारा बने व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पेज पर भी नए अपडेट्स मिलते रहते हैं। इससे किसान एक-दूसरे से अनुभव साझा कर सकते हैं और अपनी समस्याओं का हल पा सकते हैं।

महत्वपूर्ण टिप्स:

  • प्रशिक्षण कार्यक्रम चुनते समय यह देखें कि वह आपकी भाषा और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल हो।
  • कोई भी नया सिस्टम अपनाने से पहले उसकी डेमो या प्रैक्टिकल ट्रेनिंग जरूर लें।
  • सरकारी योजनाओं की जानकारी अपने स्थानीय कृषि अधिकारी या KVK सेंटर से समय-समय पर लेते रहें।
इस तरह किसान भाई-बहन आसानी से हाइड्रोपोनिक्स खेती की शुरुआत कर सकते हैं और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकते हैं।

4. सरकारी योजनाएँ और सब्सिडी

हाइड्रोपोनिक्स को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की पहल

भारत में केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक खेती की ओर प्रेरित करना, उत्पादन बढ़ाना और आय में वृद्धि करना है। चलिए जानते हैं कि कौन-कौन सी सरकारी योजनाएँ और सब्सिडी उपलब्ध हैं, और इन्हें पाने के लिए क्या प्रक्रिया है।

प्रमुख सरकारी योजनाएँ

योजना का नाम लाभ लागू करने वाला विभाग
राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) हाइड्रोपोनिक्स इकाइयों की स्थापना पर 50% तक सब्सिडी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) सूक्ष्म सिंचाई और जल प्रबंधन में सहायता कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
राज्य स्तरीय बागवानी बोर्ड योजनाएँ राज्यों के अनुसार अलग-अलग अनुदान और प्रशिक्षण राज्य सरकारें/बोर्ड्स
स्टार्टअप इंडिया, MSME स्कीम्स नई तकनीकों को अपनाने के लिए फंडिंग व लोन सुविधा MSME मंत्रालय, स्टार्टअप इंडिया मिशन

सब्सिडी पाने की प्रक्रिया (Registration Process)

  1. ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन: संबंधित योजना की आधिकारिक वेबसाइट या कृषि विभाग के पोर्टल पर जाएँ। वहाँ किसान को अपना आधार नंबर, भूमि विवरण, बैंक खाता आदि जानकारी भरनी होती है।
  2. दस्तावेज़ अपलोड: पहचान पत्र, भूमि प्रमाण पत्र, पासबुक आदि जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें।
  3. आवेदन सत्यापन: अधिकारी आपके आवेदन और दस्तावेज़ों की जांच करते हैं। सही पाए जाने पर आगे की प्रक्रिया शुरू होती है।
  4. स्वीकृति व अनुदान: स्वीकृति मिलने पर आपको सब्सिडी या वित्तीय सहायता सीधे बैंक खाते में मिलती है।
  5. तकनीकी मार्गदर्शन: कई योजनाओं में ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता भी दी जाती है ताकि किसान हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को सही से लागू कर सकें।
जरूरी बातें जो ध्यान रखें:
  • हर राज्य की अपनी कुछ शर्तें और लाभ हो सकते हैं, इसलिए अपने नजदीकी कृषि अधिकारी या जिला बागवानी कार्यालय से जरूर संपर्क करें।
  • सभी योजनाएँ समय-समय पर अपडेट होती रहती हैं, नवीनतम जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइट देखते रहें।
  • समूह (FPOs) या सहकारी समितियों के माध्यम से आवेदन करने पर अतिरिक्त लाभ मिल सकते हैं।

5. समुदाय आधारित हस्तक्षेप और नवाचार

स्थानीय समाज में हाइड्रोपोनिक्स की पहल

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय समाज, किसान समूहों और सहकारी समितियों ने मिलकर हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को अपनाया है। इससे किसानों को आधुनिक खेती के तरीकों से परिचित होने का अवसर मिला है। कई गाँवों में सामूहिक रूप से छोटे-छोटे हाइड्रोपोनिक्स यूनिट्स स्थापित किए गए हैं, जहाँ किसान एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और नई तकनीकों को साझा करते हैं।

किसान समूहों द्वारा अपनाए गए नवाचार

कई किसान समूहों ने अपने अनुभव के आधार पर हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम्स को भारतीय जलवायु और स्थानीय फसलों के अनुसार अनुकूलित किया है। उदाहरण के लिए, कुछ समूहों ने पोषक तत्वों का घोल तैयार करने के लिए स्थानीय जैविक पदार्थों का इस्तेमाल शुरू किया है जिससे लागत कम होती है और उत्पादन भी अच्छा होता है।

सहकारी समितियों की भूमिका

सहकारी समितियाँ किसानों को प्रशिक्षण देने, उपकरण उपलब्ध कराने और बाजार से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं। वे सामूहिक खरीदारी और विपणन (मार्केटिंग) जैसे कार्यों को आसान बनाती हैं, जिससे छोटे किसान भी इस तकनीक का लाभ उठा सकते हैं।

समुदाय आधारित प्रयासों के लाभ
प्रयास लाभ
सामूहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम हर किसान तक सही जानकारी पहुँचती है, अनुभव साझा होते हैं
साझा हाइड्रोपोनिक्स यूनिट्स शुरुआती लागत कम होती है, जोखिम बाँटा जाता है
स्थानीय नवाचार भारतीय मौसम और मिट्टी के अनुसार अनुकूलन संभव होता है
सहकारिता द्वारा विपणन फसल बेचने में आसानी, उचित दाम मिलता है

नवाचार की सफल कहानियाँ

महाराष्ट्र के कुछ गांवों में महिला स्वयं सहायता समूहों ने हाइड्रोपोनिक्स को अपनाकर सब्ज़ियों की खेती शुरू की है। इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिल रही है और गाँव के अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं। इसी तरह पंजाब के कुछ युवा किसानों ने सहकारी समिति बनाकर बड़े पैमाने पर हाइड्रोपोनिक्स ग्रीनहाउस लगाए हैं, जिससे उनके उत्पादन में वृद्धि हुई है। यह दिखाता है कि समुदाय आधारित हस्तक्षेप से न केवल तकनीकी ज्ञान बढ़ता है, बल्कि सामाजिक व आर्थिक विकास भी संभव होता है।

6. व्यावहारिक चुनौतियाँ और समाधान

भारतीय किसानों के लिए आम चुनौतियाँ

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक भारतीय किसानों के लिए एक नई और आधुनिक खेती की पद्धति है, लेकिन इसके अपनाने में कई प्रकार की व्यावहारिक समस्याएँ सामने आती हैं। नीचे दी गई तालिका में मुख्य चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है:

चुनौती विवरण समाधान
शुरुआती लागत हाइड्रोपोनिक्स सेटअप की शुरुआती लागत पारंपरिक खेती से अधिक होती है। सरकारी सब्सिडी योजनाओं का लाभ उठाएँ; समूह में मिलकर इक्विपमेंट खरीदें।
तकनीकी जानकारी की कमी बहुत से किसान इस तकनीक के बारे में पूरी तरह नहीं जानते हैं। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्रों या सरकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लें।
पानी की गुणवत्ता खराब पानी हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। पानी की जांच करवाएँ और जरूरत अनुसार फिल्टर सिस्टम लगाएँ।
बाजार तक पहुँच उत्पादों को सही दाम पर बेचना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। स्थानीय मंडियों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें, एफपीओ (FPO) से जुड़ें।
ऊर्जा आपूर्ति अक्सर बिजली कटौती होती है, जिससे सिस्टम रुक सकता है। सौर ऊर्जा या बैटरी बैकअप विकल्प अपनाएँ।

स्थानीय संदर्भ में व्यवहारिक सुझाव

  • समूह आधारित मॉडल: छोटे किसान समूह बनाकर संसाधनों और जानकारी का साझा उपयोग कर सकते हैं। इससे लागत कम होगी और जोखिम भी घटेगा।
  • सरकारी सहायता: केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही हाइड्रोपोनिक्स सब्सिडी योजनाओं की जानकारी अपने नजदीकी कृषि अधिकारी से प्राप्त करें।
  • मूल्य संवर्धन: उपज को सीधा ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए लोकल मार्केटिंग चैनल या डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सहारा लें। इससे मुनाफा बढ़ेगा।
  • निरंतर प्रशिक्षण: समय-समय पर आयोजित होने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में भाग लें, ताकि नई तकनीकों और समस्याओं के समाधान की जानकारी मिलती रहे।
  • समुदाय सहयोग: अपने गाँव या कस्बे के अन्य किसानों के साथ अनुभव साझा करें, इससे सभी को सीखने का मौका मिलेगा।

प्रेरणादायक उदाहरण

उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र के पुणे जिले के कुछ किसानों ने मिलकर सामूहिक हाइड्रोपोनिक्स यूनिट स्थापित की है, जिसमें उन्होंने सरकारी अनुदान और तकनीकी प्रशिक्षण दोनों का लाभ लिया है। इससे उनकी आमदनी में अच्छा इजाफा हुआ है और स्थानीय बाजार में ताजा हाइड्रोपोनिक उत्पादों की मांग भी बढ़ी है। इस तरह के प्रेरणादायक उदाहरण अन्य किसानों को भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

7. भविष्य की संभावनाएँ और किसानों की सफलता की कहानियाँ

हाइड्रोपोनिक्स में संभावित विकास

भारत में कृषि का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। हाइड्रोपोनिक्स जैसे अत्याधुनिक तकनीकों के कारण किसान अब कम पानी, कम ज़मीन और कम श्रम में भी अधिक उत्पादन कर सकते हैं। आने वाले वर्षों में हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में और भी नए शोध, मशीनें एवं सरकारी सहयोग की उम्मीद है। इससे छोटे और सीमांत किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में संभावनाएँ

ग्रामीण भारत में हाइड्रोपोनिक्स खेती एक नई उम्मीद बनकर उभर रही है। जिन क्षेत्रों में जल संकट या उपजाऊ भूमि की कमी है, वहाँ यह तकनीक विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है। साथ ही, सरकार द्वारा शुरू की गई प्रशिक्षण योजनाओं के कारण गाँव के युवा भी इस ओर आकर्षित हो रहे हैं।

हाइड्रोपोनिक्स खेती के लाभ ग्रामीण किसानों के लिए

लाभ विवरण
कम पानी की आवश्यकता परंपरागत खेती की तुलना में 80% तक कम पानी खर्च होता है
कम ज़मीन पर अधिक उत्पादन छोटी जगह या घर की छत पर भी खेती संभव
कम श्रम लागत स्वचालित सिस्टम से काम आसान होता है
रसायनों का कम उपयोग स्वस्थ और ताजा सब्जियां प्राप्त होती हैं
साल भर उत्पादन मौसम पर निर्भरता नहीं रहती, लगातार उपज संभव है

भारतीय किसानों की प्रेरणादायक सफलताओं का उल्लेख

कुछ ग्रामीण किसानों की कहानियाँ

  • रामेश्वर प्रसाद (उत्तर प्रदेश): रामेश्वर जी ने अपने गाँव में पहली बार हाइड्रोपोनिक्स ग्रीनहाउस लगाया। उन्हें शुरुआत में सरकारी सब्सिडी मिली और आज वे साल भर टमाटर और पालक उगाकर आस-पास के शहरों में बेचते हैं, जिससे उनकी आमदनी तीन गुना बढ़ गई है।
  • सरिता देवी (महाराष्ट्र): सरिता जी ने महिला स्वयं सहायता समूह के साथ मिलकर अपने खेत में हाइड्रोपोनिक्स सिस्टिम लगाई। उन्होंने सरकारी प्रशिक्षण लिया और आज वह स्थानीय स्कूलों को ताजा सलाद पत्ते सप्लाई करती हैं। इससे गाँव की कई महिलाओं को रोजगार मिला है।
  • मनोज कुमार (तमिलनाडु): मनोज जी ने पारंपरिक खेती छोड़कर अपने घर की छत पर हाइड्रोपोनिक गार्डन बनाया। वह सोशल मीडिया के जरिए अपने अनुभव साझा करते हैं और युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं कि कम जगह में भी जैविक सब्जियों की खेती संभव है।
सरकारी योजनाओं का योगदान

इन सफलताओं के पीछे केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही ट्रेनिंग, सब्सिडी एवं तकनीकी सहायता का बड़ा हाथ है। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), राष्ट्रीय बागवानी मिशन तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी योजनाएँ किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं। इन कार्यक्रमों से जुड़कर किसान न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि अपने समाज में बदलाव ला रहे हैं।