1. फल लगाने के लिए उपयुक्त गमलों और मिट्टी का चयन
अगर आप अपने घर की छत पर फलों के पौधे उगाना चाहते हैं, तो सबसे पहले सही गमला, मटेरियल और मिट्टी का चुनाव करना बहुत जरूरी है। छत पर गार्डनिंग करते समय हल्के वजन वाले, मजबूत और टिकाऊ गमले चुनना चाहिए ताकि वे आसानी से छत पर रखे जा सकें और ज्यादा वजन न डालें। नीचे दिए गए टेबल में विभिन्न प्रकार के गमलों और उनके फायदे बताए गए हैं:
गमले का प्रकार | सामग्री | फायदे |
---|---|---|
प्लास्टिक पॉट | हल्का, सस्ता | आसान से मूव कर सकते हैं, पानी कम सोखता है |
टेरेकोटा/मिट्टी के पॉट | क्लासिक लुक, प्राकृतिक सामग्री | जड़ें अच्छी तरह सांस लेती हैं, लेकिन थोड़े भारी होते हैं |
सीमेंट/कंक्रीट पॉट | बहुत मजबूत | लंबे समय तक चलते हैं, भारी होते हैं इसलिए हवा में नहीं उड़ते |
ग्रो बैग्स (फैब्रिक) | सस्ती फैब्रिक से बने होते हैं | हल्के, पोर्टेबल, जड़ों के लिए अच्छा वेंटिलेशन मिलता है |
फलदार पौधों के लिए सही आकार का गमला कैसे चुनें?
छत पर फलदार पौधों जैसे नींबू, अमरूद, अनार या स्ट्रॉबेरी लगाने के लिए कम-से-कम 12-18 इंच गहरे और चौड़े गमले का चुनाव करें। बड़े पौधों के लिए 24 इंच या उससे बड़े गमले का इस्तेमाल करें। इससे पौधों की जड़ें अच्छे से फैल पाएंगी और पौधा स्वस्थ रहेगा।
मिट्टी का चयन और तैयारी कैसे करें?
घर की छत पर फलदार पौधों को हेल्दी रखने के लिए मिट्टी बहुत अहम भूमिका निभाती है। छत पर मिट्टी हल्की, उपजाऊ और पानी निकासी वाली होनी चाहिए। नीचे दिए गए मिश्रण का उपयोग करें:
सामग्री | अनुपात (भाग) |
---|---|
गार्डन सॉयल (बागवानी की सामान्य मिट्टी) | 2 भाग |
कोकोपीट (नारियल का बुरादा) | 1 भाग |
गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट | 1 भाग |
रेत (यदि मिट्टी भारी है) | ½ भाग (आवश्यकतानुसार) |
कोकोपीट क्यों जरूरी है?
कोकोपीट हल्का होता है और यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करता है। इससे पौधों की जड़ें अच्छी तरह बढ़ती हैं। गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट पौधों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है। अगर आपकी मिट्टी भारी है तो उसमें थोड़ी रेत मिलाएं ताकि पानी आसानी से निकल सके और जड़ें सड़ें नहीं।
छोटे टिप्स:
- गमले के नीचे ड्रेनेज होल जरूर रखें ताकि अतिरिक्त पानी निकल सके।
- हर 6 महीने में खाद डालते रहें ताकि पौधे स्वस्थ रहें।
- गमले को ऐसी जगह रखें जहां दिन में कम-से-कम 5-6 घंटे धूप मिले।
इस तरह आप अपने घर की छत पर सही गमला और मिट्टी चुनकर आसानी से स्वादिष्ट फल उगा सकते हैं।
2. सही फल पौधों का चयन और स्थानीय जलवायु के हिसाब से पौधों का चयन
घर की छत पर फलों के पौधे लगाने से पहले यह जानना जरूरी है कि कौन से पौधे आपके इलाके की जलवायु और छत की स्थिति के अनुसार सबसे अच्छे रहेंगे। भारत में मौसम की विविधता को देखते हुए हर राज्य या क्षेत्र में अलग-अलग फलदार पौधों की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। नीचे कुछ ऐसे आम, लोकप्रिय और आसानी से छत पर गमले में उगाए जा सकने वाले फलों का उल्लेख किया गया है, जो भारतीय मौसम के अनुकूल हैं:
भारतीय मौसम के अनुसार उपयुक्त फलदार पौधे
फल का नाम | क्षेत्र/जलवायु | छत पर गमले में लगाने की विशेषता |
---|---|---|
आम (Mango) | उत्तर भारत, मध्य भारत, दक्षिण भारत – गर्म और शुष्क जलवायु | बौने किस्में जैसे ‘अमरापाली’ छोटे गमलों में भी लगाई जा सकती हैं |
अमरूद (Guava) | पूरे भारत में – गर्मी एवं हल्की सर्दी सहनशील | ‘लखनऊ 49’ जैसी किस्में कंटेनर गार्डनिंग के लिए उत्तम हैं |
नींबू (Lemon) | पूरे भारत में – गर्म व आर्द्र जलवायु पसंद करता है | काफी कम जगह में भी लगाया जा सकता है, नियमित सिंचाई जरूरी |
पपीता (Papaya) | दक्षिण भारत एवं तटीय क्षेत्र – गर्म एवं आर्द्र जलवायु | बीज से आसानी से तैयार किया जा सकता है, तेजी से बढ़ता है |
सीताफल (Custard Apple) | राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात – शुष्क व गर्म प्रदेशों के लिए उपयुक्त | कम देखभाल में अच्छा फल देता है, गमले में भी संभव |
छत की अनुकूलता को कैसे देखें?
फलों के पौधे लगाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपकी छत पर पर्याप्त धूप आती हो (कम-से-कम 5-6 घंटे प्रतिदिन)। गमलों का आकार पौधे के अनुसार चुनें—आम या अमरूद जैसे बड़े पौधों के लिए 18-24 इंच चौड़े व गहरे गमले उपयुक्त रहते हैं। वहीं नींबू या सीताफल जैसे छोटे पौधों के लिए 12-15 इंच के गमले भी चल सकते हैं। पानी निकासी का ध्यान रखें ताकि जड़ों में सड़न न हो।
यदि आप उत्तर भारत में रहते हैं तो सर्दियों में हल्की सुरक्षा दें और दक्षिण या तटीय क्षेत्रों में बारिश के दौरान अधिक जल निकासी पर ध्यान दें। सही पौधा चुनकर और स्थानीय मौसम को ध्यान में रखकर छत पर बागवानी करना काफी आसान व सफल हो सकता है।
3. पौधे लगाने की पूर्ण विधि
गमले में बीज या पौधा लगाने का सही तरीका
घर की छत पर गमले में फलदार पौधे उगाना बहुत आसान है, बस आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले, उस फल के अनुसार अच्छा और मजबूत गमला चुनें। आमतौर पर 12 से 18 इंच का गमला पर्याप्त होता है। गमले के नीचे छेद होना चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी बाहर निकल सके।
बीज या पौधा लगाने के स्टेप्स
- गमले को अच्छी तरह धोकर उसमें मिट्टी, गोबर की खाद और थोड़ी रेत मिलाकर भरें।
- अगर आप बीज लगा रहे हैं तो बीज को हल्का दबाकर लगाएं और ऊपर से हल्की मिट्टी डालें।
- अगर पौधा (नर्सरी वाला छोटा पौधा) लगा रहे हैं तो जड़ को ज्यादा न दबाएं और धीरे-धीरे मिट्टी से ढंक दें।
- पानी डालते समय गमले की मिट्टी सिर्फ नमीदार रखें, ज्यादा पानी न डालें।
बीज की गहराई व दूरी
फल का नाम | बीज की गहराई | बीजों के बीच दूरी |
---|---|---|
टमाटर | 1-1.5 सेंटीमीटर | 5-7 सेंटीमीटर |
अमरूद | 2-3 सेंटीमीटर | 10-15 सेंटीमीटर |
नींबू | 1-2 सेंटीमीटर | 8-10 सेंटीमीटर |
अनार | 1.5-2 सेंटीमीटर | 8-10 सेंटीमीटर |
स्ट्रॉबेरी (रोपाई) | – (पौधा रोपण) | 20-25 सेंटीमीटर |
शुरुआती देखभाल की प्रक्रिया
- सूरज की रोशनी: रोज़ कम से कम 5-6 घंटे धूप में रखें। छाया वाली जगह पर फलों का विकास धीमा हो सकता है।
- पानी: जब भी मिट्टी सूखी लगे तब ही पानी डालें, कभी भी ज्यादा न डालें जिससे जड़ सड़ सकती है। गर्मियों में थोड़ा अधिक पानी देना पड़ सकता है।
- खाद: हर 15 दिन में एक बार गोबर की खाद या जैविक खाद डालें ताकि पौधों को पोषण मिलता रहे। रासायनिक खादों से बचना बेहतर है।
- कीट नियंत्रण: नीम का तेल या घर पर बना जैविक स्प्रे इस्तेमाल करें, जिससे पत्तियों को नुकसान न पहुंचे। जरूरत पड़े तो हाथ से भी खराब पत्तियां हटा सकते हैं।
4. सिँचाई, पोषण और जैविक खाद प्रबंधन
गमले में फलदार पौधों के लिए पानी देने का सही समय
घर की छत पर गमले में लगे फलदार पौधों को पानी देने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम को सूरज ढलने के बाद होता है। इस समय तापमान कम रहता है, जिससे पानी वाष्पित नहीं होता और जड़ें अधिक समय तक नम रहती हैं। गर्मी के मौसम में पौधे को रोजाना हल्का पानी दें, जबकि सर्दियों में 2-3 दिन में एक बार ही पर्याप्त रहेगा।
मौसम | पानी देने की आवृत्ति |
---|---|
गर्मी | रोजाना (सुबह या शाम) |
सर्दी | हर 2-3 दिन में एक बार |
बरसात | जरूरत के अनुसार (मिट्टी चेक करें) |
पानी की मात्रा का ध्यान कैसे रखें?
गमले में फलदार पौधों के लिए मिट्टी हमेशा थोड़ी नम रहे, लेकिन पानी जमा न होने पाए। गमले के तले में छेद होना जरूरी है, जिससे अतिरिक्त पानी निकल सके। हर पौधे की उम्र और आकार के अनुसार पानी की मात्रा अलग हो सकती है, जैसे छोटा पौधा – 200-300 मिलीलीटर, बड़ा पौधा – 500 मिलीलीटर से 1 लीटर तक।
जल प्रबंधन के लिए टिप्स:
- हफ्ते में एक बार मिट्टी को अंगुली से चेक करें, अगर ऊपरी 2-3 इंच सूखी हो तो ही पानी दें।
- गर्मियों में दोपहर में बिल्कुल भी पानी न डालें, इससे जड़ें जल सकती हैं।
- अगर पत्ते पीले पड़ने लगें या मिट्टी बहुत गीली हो, तो तुरंत सिंचाई रोक दें।
जैविक या देसी खाद (वर्मी कम्पोस्ट, गोबर खाद) देने का तरीका
फलदार पौधों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से पोषण देना जरूरी है। जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट या देसी गोबर खाद सबसे अच्छा विकल्प है। ये मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधे को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं।
खाद का प्रकार | कब डालें | मात्रा (प्रति गमला) |
---|---|---|
वर्मी कम्पोस्ट | हर 20-30 दिन पर | 1-2 मुट्ठी (लगभग 100 ग्राम) |
गोबर खाद (सड़ी हुई) | हर 45 दिन पर | 1-2 मुट्ठी (लगभग 100-150 ग्राम) |
नीम खली/केचुआ खाद | हर 2 महीने पर | 50 ग्राम तक |
खाद डालने की प्रक्रिया:
- गमले की ऊपरी मिट्टी को हल्के से खुरच लें ताकि खाद अच्छी तरह मिल जाए।
- जितनी मात्रा तय है, उतनी खाद ऊपर डालकर मिट्टी के साथ मिक्स कर दें।
- खाद डालने के बाद हल्का पानी जरूर दें ताकि खाद सक्रिय हो सके।
- रासायनिक खाद का उपयोग करने से बचें; जैविक या देसी खाद ही अपनाएं। इससे फल स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बनेंगे।
खास सलाह:
- Panchgavya (पंचगव्य) स्प्रे का उपयोग महीने में एक बार करने से पौधे मजबूत रहते हैं और रोग नहीं लगते। पंचगव्य स्थानीय गौशाला से आसानी से मिल जाता है।
- घर की किचन वेस्ट से बनी कम्पोस्ट भी हर महीने थोड़ा-थोड़ा डाल सकते हैं। यह पौधों के लिए फायदेमंद रहती है।
- कभी भी ताजा गोबर या बिना सड़ी खाद सीधे न डालें, इससे जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है।
5. छत की सुरक्षा और पौधों की देखभाल
छत पर पौधों की सुरक्षा क्यों जरूरी है?
घर की छत पर फलदार पौधे लगाने के बाद उनकी सुरक्षा और सही देखभाल बहुत आवश्यक है। भारत में मौसम का मिजाज जल्दी-जल्दी बदलता रहता है—कभी तेज़ धूप, कभी भारी बारिश और कई बार कीटों का हमला भी हो सकता है। इन सब चुनौतियों से अपने पौधों को बचाने के लिए आपको कुछ खास उपाय अपनाने चाहिए।
तेज धूप से कैसे बचाएं?
समस्या | उपाय |
---|---|
पौधों के पत्ते झुलसना | शेड नेट या पुरानी चादर/परदे का इस्तेमाल करें |
मिट्टी जल्दी सूखना | सुबह-शाम पानी दें, मल्चिंग (घास, सूखे पत्ते) लगाएं |
भारी बारिश से पौधों को कैसे बचाएं?
- गमलों में पानी निकासी के लिए नीचे छेद जरूर रखें।
- जरूरत हो तो गमलों को शेड के नीचे रखें या पॉलीथिन/प्लास्टिक कवर करें।
- बारिश के दौरान खाद डालने से बचें क्योंकि पोषक तत्व बह सकते हैं।
कीटों से सुरक्षा के घरेलू तरीके
- नीम का तेल (Neem Oil) पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- लहसुन और साबुन का घोल भी असरदार होता है।
- पौधों की पत्तियों को नियमित जांचें और संक्रमित पत्ते तुरंत हटा दें।
नियमित देखभाल के आसान सुझाव
देखभाल कार्य | कितनी बार करना चाहिए? | टिप्स |
---|---|---|
पानी देना | रोजाना/मौसम अनुसार | सुबह या शाम को ही दें ताकि पानी जल्दी न सूखे। |
खाद डालना | 15-20 दिन में एक बार | गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, घर की जैविक खाद ज्यादा फायदेमंद हैं। |
पौधों की कटाई-छंटाई (प्रूनिंग) | महिने में 1-2 बार | सूखी और पीली पत्तियां काट दें, इससे नई ग्रोथ आती है। |
कीट नियंत्रण निरीक्षण | सप्ताह में 1-2 बार | अगर कोई कीट दिखे तो तुरंत घरेलू स्प्रे करें। |
ध्यान देने योग्य बातें:
- छत साफ और मजबूत होनी चाहिए ताकि गमलों का वजन सह सके।
- गमलों को सीधा जमीन पर न रखें, स्टैंड या ईंट का सहारा लें ताकि पानी रुके नहीं।
- हर मौसम में पौधों को थोड़ा एडजस्ट करें: गर्मी में छाया दें, सर्दी में धूप वाली जगह रखें।
इन आसान तरीकों से आप अपनी छत पर लगे फलों के पौधों को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं तथा बंपर पैदावार ले सकते हैं।