1. भारत में जैविक कीटनाशकों का महत्व और किसानों की भूमिका
जैविक कीटनाशक: भारतीय कृषि के लिए क्यों जरूरी?
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ अधिकांश किसान अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता, जल स्रोतों की शुद्धता और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसे में जैविक कीटनाशक किसानों के लिए एक सुरक्षित और लाभकारी विकल्प बनकर उभरे हैं।
जैविक कीटनाशकों का भारतीय किसानों की जीवनशैली में योगदान
जैविक कीटनाशकों के उपयोग से किसानों को कई तरह के फायदे मिलते हैं:
लाभ | विवरण |
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स्वस्थ फसलें | फसलें रासायनिक अवशेषों से मुक्त होती हैं, जिससे उपभोक्ता भी सुरक्षित रहते हैं। |
मिट्टी की गुणवत्ता | जैविक उत्पाद मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को नुकसान नहीं पहुँचाते, जिससे इसकी उर्वरता बनी रहती है। |
कम लागत | घरेलू या स्थानीय संसाधनों से बनाए जा सकते हैं, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होता है। |
पर्यावरण संरक्षण | प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होता है और प्रदूषण कम होता है। |
पारंपरिक बनाम आधुनिक कृषि प्रथाएँ: संतुलन कैसे बनाएं?
भारत में सदियों से पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ अपनाई जाती रही हैं, जिसमें नीम, गोमूत्र, दही-छाछ आदि का इस्तेमाल कीटनाशक के रूप में होता था। अब सरकारी योजनाओं और जागरूकता अभियानों के चलते आधुनिक जैविक कीटनाशकों को भी अपनाया जा रहा है। इससे किसानों को यह सुविधा मिली है कि वे अपने अनुभव और वैज्ञानिक तरीकों का संतुलित उपयोग कर सकते हैं। कई राज्य सरकारें प्रशिक्षण एवं सब्सिडी देकर किसानों को जैविक विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। यह बदलाव भारतीय कृषि को अधिक टिकाऊ और स्वस्थ बना रहा है।
2. सरकारी योजनाओं का परिचय
भारत सरकार किसानों को जैविक कीटनाशकों के उपयोग के लिए कई योजनाएं और सहायता प्रदान कर रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य खेती में रासायनिक कीटनाशकों के स्थान पर पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देना है, जिससे किसान, उपभोक्ता और मिट्टी सभी सुरक्षित रहें। नीचे हम कुछ प्रमुख सरकारी योजनाओं और अभियानों की जानकारी दे रहे हैं, जिनका लाभ भारतीय किसान उठा सकते हैं:
प्रमुख सरकारी योजनाएं और अभियान
योजना/अभियान का नाम | मुख्य उद्देश्य | लाभार्थी | सहायता का प्रकार |
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परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) | जैविक खेती को बढ़ावा देना एवं प्रशिक्षण देना | छोटे व सीमांत किसान | आर्थिक सहायता, प्रमाणन शुल्क, प्रशिक्षण |
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) | खेती की विविधता को बढ़ाना तथा जैविक उत्पादकता में वृद्धि करना | राज्य सरकारें व किसान समूह | वित्तीय सहायता, तकनीकी सलाह |
मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (MOVCDNER) | पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती को प्रोत्साहित करना | पूर्वोत्तर राज्य के किसान | इनपुट सपोर्ट, मार्केटिंग सहायता |
सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना (SPNF) | प्राकृतिक एवं शून्य लागत वाली खेती को बढ़ावा देना | सम्पूर्ण भारत के किसान | प्रशिक्षण, डेमोन्स्ट्रेशन, वित्तीय सहयोग |
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) | खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना तथा जैविक इनपुट्स को अपनाना | कृषि क्षेत्र से जुड़े किसान | बीज, जैव-कीटनाशक व अन्य इनपुट्स पर सब्सिडी |
सरकारी सहायता कैसे प्राप्त करें?
- स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क: अपने जिले के कृषि कार्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर संबंधित योजनाओं की जानकारी ले सकते हैं। यहाँ पर आवेदन प्रक्रिया भी समझाई जाती है।
- Kisan Call Centre: टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 पर कॉल करके भी मदद ली जा सकती है। यहाँ आपको आपकी भाषा में मार्गदर्शन मिलेगा।
- ऑनलाइन पोर्टल्स: PM Kisan Portal, Farmer Portal of India, आदि पर योजनाओं की पूरी जानकारी उपलब्ध है।
याद रखें:
सरकार समय-समय पर नई योजनाएं लाती रहती है। इसलिए हमेशा आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय कृषि अधिकारी से अपडेट लेते रहें ताकि आप हर संभव सहायता का लाभ उठा सकें।
3. जरूरी योग्यता और आवेदन प्रक्रिया
किसान इन सरकारी योजनाओं के लिए कैसे पात्र बन सकते हैं?
अगर आप भारतीय किसान हैं और जैविक कीटनाशकों की सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहते हैं, तो कुछ जरूरी योग्यता और नियमों को पूरा करना अनिवार्य है। आमतौर पर ये योजनाएं उन्हीं किसानों के लिए होती हैं जो भारत में कृषि कार्य कर रहे हैं और उनके पास अपनी जमीन के दस्तावेज़ सही रूप में उपलब्ध हैं।
पात्रता के मुख्य बिंदु:
पात्रता शर्त | विवरण |
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नागरिकता | भारतीय नागरिक होना चाहिए |
भूमि का स्वामित्व | कृषि भूमि के मालिक या किरायेदार किसान होना जरूरी है |
आयु सीमा | आमतौर पर 18 वर्ष से अधिक उम्र आवश्यक है |
कृषि क्षेत्र | सरकारी योजना के अनुसार चुने गए जिले या राज्यों के किसान ही पात्र हो सकते हैं |
आवश्यक दस्तावेज़ क्या-क्या हैं?
सरकारी सहायता पाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी दस्तावेज़ जमा करने होते हैं। नीचे दिए गए तालिका में आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची दी गई है:
दस्तावेज़ का नाम | महत्व/उपयोगिता |
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आधार कार्ड / वोटर आईडी | पहचान प्रमाण पत्र के तौर पर आवश्यक |
भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (खतौनी) | जमीन का मालिकाना हक साबित करने के लिए |
बैंक पासबुक की कॉपी | सहायता राशि सीधे खाते में भेजने हेतु बैंक विवरण जरूरी है |
पासपोर्ट साइज फोटो | आवेदन फॉर्म पर चिपकाने के लिए जरूरी फोटो |
Kisan Credit Card (यदि उपलब्ध हो) | अधिकतम लाभ उठाने हेतु अतिरिक्त प्रमाण पत्र के रूप में मान्य होता है |
आवेदन कैसे करें? (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके)
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया:
- सरकारी पोर्टल पर जाएं: जैसे कि PM Kisan Portal, AgriCoop Portal, या राज्य सरकार की कृषि विभाग वेबसाइट।
- योजना चुनें: अपने क्षेत्र व जरूरत अनुसार जैविक कीटनाशकों से जुड़ी योजना को सिलेक्ट करें।
- फॉर्म भरें: मांगी गई जानकारी जैसे नाम, पता, बैंक डिटेल्स, आधार नंबर आदि भरें।
- दस्तावेज़ अपलोड करें: सभी जरूरी दस्तावेज़ स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड करें।
- फाइनल सबमिट: सबमिट बटन दबाएं और रसीद डाउनलोड करें।
ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया:
- नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय जाएं:
- फॉर्म प्राप्त करें: संबंधित योजना का आवेदन फॉर्म काउंटर से लें।
- जानकारी भरें और दस्तावेज़ संलग्न करें: सभी जानकारी सही-सही भरें और सभी जरूरी डॉक्यूमेंट अटैच करें।
- फॉर्म जमा करें: भरे हुए फॉर्म को संबंधित अधिकारी को सौंप दें।
महत्वपूर्ण सरकारी पोर्टल्स एवं कार्यालयों की जानकारी:
संपर्क पोर्टल/कार्यालय | वेबसाइट/संपर्क नंबर | सेवा विवरण |
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) पोर्टल | https://pmkisan.gov.in | ऑनलाइन आवेदन, स्थिति जानना, सहायता राशि देखना |
कृषि सहायक निदेशालय (राज्य स्तर) | राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट देखें | ऑफलाइन आवेदन, दस्तावेज़ सत्यापन, मार्गदर्शन |
केंद्रीय कृषि मंत्रालय (AgriCoop) | https://agricoop.nic.in | नई योजनाओं की जानकारी, दिशा-निर्देश एवं अपडेट्स |
CSC केंद्र (Common Service Center) | https://csc.gov.in | डिजिटल सेवाएं, ऑनलाइन फॉर्म भरने में सहायता |
अगर आपको आवेदन प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय या CSC सेंटर पर जाकर मदद ले सकते हैं। वहां के कर्मचारी आपकी पूरी सहायता करेंगे। साथ ही, हमेशा अपने मूल दस्तावेज़ अपने साथ रखें ताकि किसी भी समय आवश्यकता पड़ने पर प्रस्तुत किए जा सकें।
4. आर्थिक सहायता एवं सब्सिडी
सरकारी योजनाओं के तहत किसानों को मिलने वाली आर्थिक सहायता
भारत सरकार जैविक कीटनाशकों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को आर्थिक सहायता, सब्सिडी और अन्य लाभ दिए जाते हैं ताकि वे रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकें। यह सहायता किसानों के बोझ को कम करने और जैविक खेती को अपनाने में मदद करती है।
सब्सिडी राशि एवं वितरण प्रक्रिया
किसानों को जैविक कीटनाशकों पर सब्सिडी सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है या फिर उन्हें रियायती दरों पर उत्पाद उपलब्ध कराए जाते हैं। अलग-अलग राज्यों में यह राशि भिन्न हो सकती है। नीचे एक तालिका दी गई है जिसमें कुछ प्रमुख योजनाओं और उनकी सब्सिडी राशि का उल्लेख किया गया है:
योजना का नाम | प्राप्त सब्सिडी (%) | लाभार्थियों के लिए पात्रता | मुख्य लाभ |
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राष्ट्रीय जैविक कृषि मिशन (NPOF) | 50% तक | सभी छोटे व सीमांत किसान | जैविक इनपुट किट्स, प्रशिक्षण, मार्केटिंग सहयोग |
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) | 60% तक | समूह आधारित किसान/क्लस्टर | जैविक उर्वरक व कीटनाशक, प्रमाणन, जागरूकता शिविर |
राज्य स्तरीय सब्सिडी स्कीम्स (राज्यवार) | 30-75% तक | राज्य द्वारा निर्धारित पात्रता अनुसार | स्थानीय उत्पादों पर अतिरिक्त छूट व सहायता |
लाभ लेने की प्रक्रिया क्या है?
आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए किसान संबंधित सरकारी पोर्टल या अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, भूमि दस्तावेज़ जैसी मूलभूत जानकारी जमा करनी होती है। आवेदन स्वीकृति के बाद लाभ सीधे खाते में ट्रांसफर किया जाता है या उत्पाद वितरित किए जाते हैं।
इन योजनाओं से जुड़े अधिक जानकारी और मार्गदर्शन के लिए किसान अपने राज्य के कृषि अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं। इससे वे समय पर सरकारी लाभ उठा सकते हैं और अपनी खेती को जैविक बना सकते हैं।
5. स्थानीय अनुभव और सामुदायिक भागीदारी
भारत के विभिन्न राज्यों से किसानों के अनुभव
भारत के अलग-अलग राज्यों में जैविक कीटनाशकों को अपनाने वाले किसानों ने बेहतरीन परिणाम देखे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख राज्यों के किसानों की कहानियाँ दी जा रही हैं:
राज्य | किसान का नाम | स्थानीय शब्दावली | सफलता की कहानी |
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पंजाब | हरदीप सिंह | नीम खली, गोमूत्र छिड़काव | सरकारी सहायता से नीम आधारित कीटनाशक बनाना सीखा, लागत घटी और पैदावार बढ़ी। |
महाराष्ट्र | अनिता गावित | जीवामृत, दशपर्णी अर्क | गांव की महिलाओं के साथ मिलकर सामूहिक रूप से जैविक छिड़काव किया, फसल सुरक्षित रही। |
उत्तर प्रदेश | राम प्रसाद यादव | छाछ स्प्रे, लहसुन-लाल मिर्च अर्क | प्रशासन द्वारा ट्रेनिंग मिली, स्थानीय विधि से कीट नियंत्रण हुआ और उत्पादन में सुधार आया। |
आंध्र प्रदेश | लक्ष्मी रेड्डी | पंचगव्य, कावेरी घोल | समुदाय के साथ मिलकर जैविक फार्मिंग अपनाई, सरकारी योजना से अनुदान मिला। |
स्थानीय शब्दावली एवं तकनीकें
- नीम खली: नीम के बीजों से बना प्राकृतिक कीटनाशक, पंजाब और हरियाणा में लोकप्रिय।
- जीवामृत: गोबर, गोमूत्र, गुड़ आदि से बना घोल; महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में प्रचलित।
- दशपर्णी अर्क: दस प्रकार की पत्तियों से तैयार मिश्रण; दक्षिण भारत में आम।
- छाछ स्प्रे: उत्तर भारत में फफूंदी नियंत्रण के लिए छाछ का छिड़काव।
- पंचगव्य: गाय के पाँच उत्पादों से बना जैविक घोल; आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में प्रसिद्ध।
समुदाय आधारित प्रयासों की मिसालें
1. महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) की भूमिका:
महाराष्ट्र और कर्नाटक में महिलाओं के समूहों ने मिलकर जैविक कीटनाशकों का निर्माण शुरू किया है। इससे आर्थिक सशक्तिकरण हुआ और रसायनों पर निर्भरता कम हुई।
2. गाँव स्तर पर प्रशिक्षण शिविर:
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कृषि विभाग द्वारा गाँव-गाँव जाकर प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं जिससे किसान आपस में सीखते-सिखाते हैं।
3. सामूहिक खरीद एवं उपयोग:
राजस्थान और गुजरात में किसान समितियां सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाकर सामूहिक रूप से जैविक कीटनाशकों की खरीद करती हैं और अपने खेतों में इस्तेमाल करती हैं।
इन प्रयासों से क्या बदला?
- खेती की लागत घटी है।
- स्वास्थ्य व पर्यावरण पर सकारात्मक असर पड़ा है।
- स्थानीय ज्ञान एवं संसाधनों का बेहतर उपयोग हो रहा है।
यदि आप भी अपने गाँव या समुदाय में ऐसे प्रयास करना चाहते हैं तो स्थानीय कृषि विभाग या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें। वहाँ आपको योजना संबंधी जानकारी एवं प्रशिक्षण निशुल्क मिलेगा। आपके छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं!
6. सामान्य चुनौतियाँ और समाधान
जैविक कीटनाशकों के उपयोग में आने वाली समस्याएँ
भारतीय किसानों को जैविक कीटनाशकों का उपयोग करते समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएँ अक्सर जागरूकता की कमी, उचित प्रशिक्षण न मिलना, लागत, और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार उत्पादों की उपलब्धता से जुड़ी होती हैं। नीचे कुछ सामान्य चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों की जानकारी दी गई है:
समस्या | संभावित समाधान |
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जागरूकता की कमी | सरकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम, कृषि मेलों में जानकारी देना |
उपयुक्त जैविक कीटनाशक न मिलना | राज्य कृषि विभाग द्वारा प्रमाणित दुकानों पर उपलब्धता सुनिश्चित करना |
लागत अधिक होना | सरकारी सब्सिडी व अनुदान योजनाओं का लाभ उठाना |
प्रभावशीलता में संदेह | विशेषज्ञों द्वारा सफल प्रयोगों के उदाहरण साझा करना, फील्ड डेमो आयोजित करना |
तकनीकी जानकारी की कमी | ऑनलाइन एवं ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना |
सरकारी योजनाओं से जुड़ी समस्याएँ और सुझाव
कई बार किसान सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि उन्हें आवेदन प्रक्रिया या पात्रता शर्तों की पूरी जानकारी नहीं होती। इससे बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्थानीय भाषा में सूचना: योजनाओं से जुड़ी सभी जानकारी हिंदी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराई जाए।
- कृषि सलाह केंद्र: हर गाँव या ब्लॉक स्तर पर किसान सहायता केंद्र स्थापित किए जाएँ जहाँ किसान योजना संबंधी मार्गदर्शन ले सकें।
- सरल ऑनलाइन प्रक्रिया: योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन को सरल बनाया जाए तथा ग्राम स्तर पर डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
- फील्ड विजिट: सरकारी अधिकारी गाँव-गाँव जाकर किसानों को योजनाओं के बारे में बताएं और सीधे आवेदन करवाएँ।
विशेषज्ञों के सुझावों का संकलन
- डॉ. रमेश चौहान (कृषि वैज्ञानिक): “जैविक कीटनाशकों का सही चुनाव और नियमित निरीक्षण फसल सुरक्षा के लिए जरूरी है।”
- संगीता यादव (कृषि सलाहकार): “सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान अपने सभी दस्तावेज तैयार रखें और समय पर आवेदन करें।”
- राम किशोर सिंह (प्रगतिशील किसान): “अगर किसी योजना या उत्पाद को लेकर कोई संदेह हो तो नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।”
- नीलम मिश्रा (एनजीओ कार्यकर्ता): “समूह में खेती करने से लागत कम होती है और सरकारी सहयोग भी आसानी से मिलता है।”
आगे क्या करें?
यदि आपको जैविक कीटनाशकों या किसी सरकारी योजना से संबंधित समस्या हो रही है, तो सबसे पहले अपने नजदीकी कृषि विभाग या विशेषज्ञ से संपर्क करें। साथ ही, किसान मित्र समूह या सहकारी समितियों से भी मदद लें ताकि सामूहिक रूप से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
7. महत्वपूर्ण सरकारी संसाधन और संपर्क सूत्र
प्रिय किसान भाइयों, अगर आप जैविक कीटनाशकों के लिए सरकारी योजनाओं और सहायता का लाभ उठाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए सरकारी संसाधन और संपर्क सूत्र आपके लिए बहुत उपयोगी होंगे। यहाँ आपको सरकारी वेबसाइट्स, हेल्पलाइन नंबर, और कृषि विभाग के ऑफिस से जुड़ी जरूरी जानकारी दी जा रही है। इन संसाधनों की मदद से आप आसानी से योजना की पूरी जानकारी पा सकते हैं और आवेदन भी कर सकते हैं।
सरकारी वेबसाइट्स
वेबसाइट का नाम | उपयोगिता | लिंक |
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कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) | कृषि योजनाओं की पूरी जानकारी, ऑनलाइन आवेदन, तथा लेटेस्ट अपडेट्स | https://agricoop.gov.in/ |
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) | सिंचाई और कृषि संबंधित सहायता योजनाएँ | https://pmksy.gov.in/ |
राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (National Centre of Organic Farming) | जैविक खेती और कीटनाशकों से जुड़ी तकनीकी जानकारी एवं ट्रेनिंग | https://ncof.dacnet.nic.in/ |
किसान पोर्टल (Kisan Portal) | देशभर के किसानों के लिए वन-स्टॉप जानकारी का प्लेटफार्म | https://www.farmer.gov.in/ |
हेल्पलाइन नंबर
हेल्पलाइन सेवा | नंबर | सेवा विवरण |
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कृषि हेल्पलाइन (Kisan Call Center) | 1800-180-1551 | किसानों के सवालों के जवाब हिंदी सहित कई भाषाओं में 24×7 उपलब्ध |
KCC टोल फ्री नंबर (Kisan Credit Card Helpline) | 1800-115-526 | KCC व अन्य ऋण संबंधित सहायता के लिए विशेष हेल्पलाइन |
राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र सहायता नंबर | 0120-2412601/02/03/04/05/06/07/08/09/10 (Ext. 230) | जैविक खेती एवं कीटनाशकों पर विशेषज्ञ सलाह हेतु संपर्क करें |
स्थानीय कृषि विभाग कार्यालयों की जानकारी कैसे पाएं?
किसान भाइयों, अपने जिले या ब्लॉक में स्थित कृषि विभाग कार्यालय की जानकारी प्राप्त करने के लिए:
- राज्य सरकार की कृषि वेबसाइट पर जाएं। वहां Contact Us या Offices सेक्शन देखें।
- अपने पंचायत या ब्लॉक स्तर के कृषि अधिकारी से सीधे संपर्क करें।
- कृषि मित्र या स्थानीय किसान सलाहकार से भी ऑफिस का पता चल सकता है।
सुझाव:
- अगर आपको ऑनलाइन जानकारी नहीं मिल रही है, तो पास के CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) पर जाकर भी मदद ले सकते हैं।
महत्वपूर्ण बातें:
- योजना संबंधी किसी भी शंका या समस्या के लिए ऊपर दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें।
- आधिकारिक वेबसाइट से ही आवेदन करें, किसी भी अनजान व्यक्ति को पैसे न दें।
सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए ये संसाधन जरूर इस्तेमाल करें। किसानों को हर संभव मदद देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है।