अंगिरत सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) और उसका उपयोग

अंगिरत सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) और उसका उपयोग

विषय सूची

1. अंगिरत सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) क्या है?

ड्रिप इरिगेशन एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है, जिसमें पानी पौधों की जड़ों तक सीधा और नियंत्रित मात्रा में पहुँचाया जाता है। यह प्रणाली पारंपरिक बाढ़ सिंचाई के मुकाबले बहुत अधिक कुशल और जल-संरक्षण के लिए उपयुक्त मानी जाती है। भारत जैसे देश, जहाँ कई हिस्सों में जल-संकट की समस्या आम है, वहाँ ड्रिप इरिगेशन किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।

ड्रिप इरिगेशन की मूल बातें

इस प्रणाली में मुख्य रूप से पाइप, ड्रिपर्स या एमिटर्स, फिल्टर और वाल्व का उपयोग होता है। पानी पाइपलाइन द्वारा खेत में बिछाई गई छोटी-छोटी ट्यूब्स के माध्यम से प्रत्येक पौधे की जड़ तक सीधा पहुँचता है। इससे न केवल जल की बचत होती है बल्कि उर्वरक और समय दोनों की भी बचत होती है।

ड्रिप इरिगेशन बनाम पारंपरिक सिंचाई

पैरामीटर ड्रिप इरिगेशन पारंपरिक सिंचाई
जल उपयोग बहुत कम (40-60% तक बचत) अधिक, कई बार बर्बाद होता है
कृषि उत्पादकता अधिक (समुचित पोषण व जल पहुँचता है) कभी-कभी कम (असमान्य जल वितरण)
घास-फूस/जंगली पौधों का विकास कम (केवल पौधे को पानी मिलता है) अधिक (पूरे खेत में पानी फैलता है)
श्रम लागत कम अधिक
उर्वरक उपयोग सटीक (फर्टिगेशन संभव) अनुमानित (बहुत सा व्यर्थ जाता है)

भारत में ड्रिप इरिगेशन की लोकप्रियता क्यों बढ़ रही है?

देश के महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्य जहां जल संकट अक्सर रहता है, वहाँ किसान तेजी से इस तकनीक को अपना रहे हैं। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें भी विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी देकर इसे बढ़ावा दे रही हैं। इस तकनीक से गन्ना, अंगूर, टमाटर, अनार, केला जैसे फसलों में काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

मुख्य लाभ:
  • जल की 40-60% तक बचत
  • उच्च उत्पादन व गुणवत्ता सुधार
  • खर्च एवं श्रम में कमी
  • खेतों में खरपतवार कम होना
  • उर्वरकों का बेहतर उपयोग (फर्टिगेशन)

ड्रिप इरिगेशन न केवल भारत के जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों में बल्कि उन जगहों पर भी कारगर सिद्ध हो रहा है, जहाँ किसान फसल उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के इच्छुक हैं। यह आधुनिक कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।

2. भारत में ड्रिप इरिगेशन का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व

भारत में जल संरक्षण की परंपरा

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ जल संरक्षण की परंपरा प्राचीन समय से ही रही है। हमारे पूर्वजों ने वर्षा जल संचयन, तालाब, बावड़ी, कुएँ आदि के माध्यम से पानी का प्रबंधन किया। सिंचाई के लिए भी पारंपरिक तरीकों का उपयोग होता रहा है। आज के आधुनिक युग में अंगिरत सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) ने इसी परंपरा को नई तकनीक से जोड़ दिया है।

ड्रिप इरिगेशन और सांस्कृतिक व्याख्या

ड्रिप इरिगेशन पद्धति भारतीय किसानों के लिए न केवल आधुनिक समाधान है, बल्कि यह उनकी जल बचत की सदियों पुरानी सोच का आधुनिक रूप भी है। जैसे हमारे पूर्वज हर बूँद कीमती मानते थे, वैसे ही ड्रिप इरिगेशन हर पौधे तक जरूरत भर पानी पहुँचाता है। इससे पानी की बर्बादी कम होती है और फसलें भी बेहतर होती हैं।

पारंपरिक सिंचाई पद्धतियों से तुलना

पद्धति जल उपयोग श्रम की आवश्यकता फसलों पर प्रभाव
ड्रिप इरिगेशन कम (90% तक जल बचत) कम श्रम बेहतर उपज, पौधों को सीधा लाभ
बाढ़ सिंचाई (Flood Irrigation) अधिक (पानी की बर्बादी) अधिक श्रम मिट्टी कटाव, जल जमाव की समस्या
छिड़काव सिंचाई (Sprinkler Irrigation) मध्यम (कुछ हद तक बचत) मध्यम श्रम हर पौधे तक समान पानी नहीं पहुँचता
पारंपरिक कुआँ/नहर सिंचाई अधिक (नियंत्रण कम) अधिक श्रम पुरानी पद्धति, सीमित नियंत्रण
निष्कर्ष नहीं, आगे की जानकारी:

इस प्रकार ड्रिप इरिगेशन भारत की जल संरक्षण संस्कृति को आधुनिक तकनीक से जोड़ता है और किसानों के लिए अधिक सुविधाजनक एवं कारगर सिद्ध होता है। अगले भाग में हम जानेंगे कि ड्रिप इरिगेशन प्रणाली कैसे काम करती है और इसके प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं।

ड्रिप इरिगेशन के लाभ

3. ड्रिप इरिगेशन के लाभ

पानी की बचत

ड्रिप इरिगेशन प्रणाली में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचता है, जिससे पानी की बर्बादी नहीं होती। पारंपरिक सिंचाई विधियों की तुलना में इसमें 30% से 60% तक पानी की बचत होती है। भारत जैसे देश में जहाँ जल संकट आम समस्या है, वहाँ ड्रिप इरिगेशन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

उर्वरक का बेहतर उपयोग

ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से उर्वरकों को भी पानी के साथ सीधे पौधे की जड़ों तक पहुँचाया जा सकता है। इससे उर्वरकों की मात्रा कम लगती है और पौधे को अधिक पोषण मिलता है। यह तरीका फसल को स्वस्थ रखने में मदद करता है और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

कम मेहनत

इस प्रणाली में खेतों में बार-बार पानी देने या उर्वरक डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। एक बार सिस्टम सेट करने के बाद किसान को कम मेहनत करनी पड़ती है। इससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है, जिससे किसान अन्य कृषि कार्यों पर ध्यान दे सकते हैं।

फसल की गुणवत्ता में सुधार

ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से पौधों को जरूरत अनुसार नमी मिलती रहती है, जिससे उनकी वृद्धि अच्छी होती है। इससे फल, सब्जियों और अन्य फसलों की गुणवत्ता सुधरती है और उत्पादन में भी वृद्धि देखी जाती है।

किसानों की आमदनी में वृद्धि

पानी और उर्वरक की बचत, कम मेहनत और बेहतर फसल गुणवत्ता के कारण किसानों को लागत कम आती है और उपज अधिक मिलती है। इससे उनकी आमदनी बढ़ती है।

ड्रिप इरिगेशन के प्रमुख लाभ – सारणी

लाभ विवरण
पानी की बचत 30% से 60% तक पानी की खपत कम होती है
उर्वरक का बेहतर उपयोग सीधे जड़ों तक पोषण पहुँचता है, उर्वरक कम लगता है
कम मेहनत खेत में बार-बार पानी देने या खाद डालने की जरूरत नहीं पड़ती
फसल की गुणवत्ता में सुधार फसलों को सही मात्रा में नमी मिलती रहती है, जिससे गुणवत्ता बढ़ती है
आमदनी में वृद्धि कम लागत और ज्यादा उत्पादन से किसानों को फायदा होता है

ड्रिप इरिगेशन भारतीय किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी तकनीक बन चुकी है, जो न सिर्फ संसाधनों की बचत करती है बल्कि खेती को अधिक लाभकारी भी बनाती है।

4. ड्रिप इरिगेशन लगाने की विधि

आवश्यक उपकरण

उपकरण का नाम प्रमुख कार्य
ड्रिप ट्यूबिंग / पाइपलाइन पानी को पौधों तक पहुँचाना
एमिटर / ड्रिपर हर पौधे को सही मात्रा में पानी देना
फिल्टर पानी से मिट्टी और कण हटाना
वाल्व पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना
फर्टिगेशन टैंक (जरूरत अनुसार) खाद या पोषक तत्व मिलाने के लिए
मेन लाइन और सब-मेन लाइन पाइप्स प्रमुख जल आपूर्ति पाइपिंग सिस्टम

स्थापना की प्रक्रिया

  1. खेत का माप लेकर योजना बनाएं कि मुख्य पाइप, सब-पाइप और ड्रिप लाइनों का वितरण कैसे होगा।
  2. मिट्टी की सतह पर मेन लाइन और सब-मेन लाइन पाइप्स बिछाएं। जरूरत के हिसाब से टंकियों या नलकूप से जोड़ें।
  3. प्रत्येक पंक्ति के लिए ड्रिप ट्यूबिंग जोड़ें और एमिटर (ड्रिपर) निर्धारित दूरी पर लगाएं, ताकि हर पौधे तक पानी पहुंचे।
  4. सिस्टम को चालू कर पहली बार पानी चलाकर देखें कि कहीं रिसाव या अवरोध तो नहीं है। यदि हो, तो सही करें।
  5. फिल्टर की सफाई व समय-समय पर रखरखाव करते रहें ताकि पानी बिना रुकावट मिले।

स्थानीय जलवायु व मिट्टी के अनुसार समायोजन

  • जलवायु: गर्म क्षेत्रों में पानी की आवृत्ति बढ़ा सकते हैं, जबकि ठंडे मौसम में कम पानी दें। बारिश वाले इलाकों में, ड्रिप सिस्टम का उपयोग अंतराल पर करें।
  • मिट्टी:
मिट्टी का प्रकार समायोजन सुझाव
रेतीली मिट्टी अक्सर कम मात्रा में पानी दें, क्योंकि पानी जल्दी नीचे चला जाता है।
चिकनी मिट्टी धीरे-धीरे अधिक मात्रा में पानी दें, क्योंकि मिट्टी पानी रोक सकती है।
दोपहरी मिट्टी मध्यम दर से नियमित सिंचाई करें।

फसल के हिसाब से उपयोग एवं रखरखाव

  • सब्ज़ी, फलदार पौधे या फूलों की फसल के अनुसार एमिटर की संख्या और दूरी तय करें। उदाहरण: टमाटर, खीरा जैसी फसलों में 30-40 सेंटीमीटर पर ड्रिपर लगाएं; आम या अनार जैसे पेड़ों में 60-90 सेंटीमीटर दूरी रखें।
  • प्रत्येक हफ्ते फिल्टर और पाइपलाइन की जाँच करें ताकि ब्लॉकेज ना हो।
  • खाद देने के लिए फर्टिगेशन टैंक का इस्तेमाल करें जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।

स्थानीय किसानों के लिए सुझाव:

  • मौसम व फसल के अनुसार पानी देने का समय तय करें। सुबह या शाम को सिंचाई करना बेहतर रहता है।
  • ड्रिप सिस्टम की देखभाल नियमित रूप से करें ताकि लंबे समय तक अच्छा परिणाम मिले।

5. भारत सरकार की योजनाएँ और ड्रिप इरिगेशन के लिए सहायता

भारत में किसानों को अंगिरत सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) अपनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ और सहायता उपलब्ध कराई जाती हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को आधुनिक सिंचाई तकनीकों से जोड़ना और जल की बचत के साथ फसल उत्पादन बढ़ाना है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)

यह योजना पूरे देश में लागू है, जिसका मुख्य उद्देश्य हर खेत को पानी पहुँचाना है। इसके तहत ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी की दर राज्य और किसान की श्रेणी (सामान्य, पिछड़ा, अनुसूचित जाति/जनजाति) के अनुसार भिन्न हो सकती है।

सब्सिडी विवरण तालिका

किसान वर्ग सब्सिडी प्रतिशत अधिकतम सीमा (प्रति हेक्टेयर)
सामान्य किसान 35-45% राज्य पर निर्भर
अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, लघु एवं सीमांत किसान 50-55% राज्य पर निर्भर

स्थानीय कृषि विभाग और प्रशिक्षण कार्यक्रम

राज्यों के कृषि विभाग समय-समय पर ड्रिप इरिगेशन से संबंधित प्रशिक्षण शिविर आयोजित करते हैं। इसमें किसानों को ड्रिप सिस्टम की स्थापना, रखरखाव और लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। किसानों को नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करना चाहिए।

उपलब्ध सरकारी सहायता के स्रोत

  • राज्य/जिला स्तर पर कृषि विभाग कार्यालय
  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)
  • आधिकारिक पोर्टल जैसे pmksy.gov.in
  • स्थानीय पंचायत या ब्लॉक स्तरीय अधिकारी
महत्वपूर्ण बातें:
  • आवेदन करने से पहले आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें जैसे भूमि का रिकॉर्ड, पहचान पत्र आदि।
  • कुछ राज्यों में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध है।
  • ड्रिप इरिगेशन सिस्टम स्थापित करने के लिए प्रमाणित विक्रेताओं से ही सामान लें।

इन सरकारी पहलों और सहायता का लाभ लेकर किसान जल की बचत के साथ-साथ अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं। अगर किसी किसान को अधिक जानकारी चाहिए तो वे अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या KVK से संपर्क कर सकते हैं।